कविताओं में सामयिक यथार्थ

मानव जीवन की विविध घटनाओं का मार्मिक चित्रण अशोक चक्रधर के साहित्य का आधार है। उनकी अधिकांश कविताओं में मर्मांतक पीड़ा पहुँचाने वाले जीवन-प्रसंगों का वर्णन हुआ है। कहीं वह दहेज से जुड़ी हुई समस्याओं को दृश्यों में रूपायित करते हैं तो कहीं बेरोजगारी के भयानक दृश्यों को दिखाते हैं। सांप्रत समाज में फैली हुई कूटनीतियों, बढ़ती हुई अमानवीयता, पारस्परिक द्वेष आदि की भयावहता से हँसाते-हँसाते परिचित कराते हैं। राजनीति पर लिखी गई उनकी रचनाएँ, उन कविताओं के समानांतर नहीं रखी जा सकती, जो नेताओं को हास्य का विषय बना कर सतही ढंग से लिखी गई हों। नेताओं पर यदि वह व्यंग्य भी कर रहे होते हैं तो उसमें उनकी संविधान की समझ होती है।

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केदारनाथ अग्रवाल की कविताओं में प्रेम

मानव जीवन में ‘प्रेम’ एक अनिवार्य तत्त्व है। वह मनुष्य की मूल प्रवृत्तियों में से एक है। प्रेम का जीवन में वही स्थान है जो आत्मा का शरीर में। आत्मा बिना शरीर निष्प्राण होता है, प्रेम बिन जीवन। जीवन में प्रेम रूपी रस का संचार न हो तो जीवन में संबंधों की डोर नीरस, सूखी और कमजोर हो अंततः टूट जाती है।

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परवशता के विरुद्ध जिजीविषा के स्वर

भोला पंडित ‘प्रणयी’ के जीवन और उनकी पुस्तकों को देखना उनके जीवन में उतरने जैसा है। उनके साहित्य की पृष्ठभूमि प्रायः उनके जीवन के समानांतर है। इसलिए उसकी सजीवता तो असंदिग्ध है ही, यदि वह अयथार्थ लगे, तब भी यथार्थ है। उपन्यास, कहानियाँ, कविताएँ, खंडकाव्य और अध्यात्म चिंतन में सृजनरत भोला पंडित ‘प्रणयी’ के लेखन की विशेषता निरंतरता है, यह भी उसी प्रकार है कि व्याघातों में उलझे मनुष्य ने अपने जीवन-अधिकार की कामना नहीं छोड़ी।

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विजयमोहन सिंह : जीवन एवं साहित्य

विजयमोहन सिंह जी बड़े लेखक एवं आलोचक थे, किंतु वे साहित्य तक ही सीमित नहीं थे। वे कला तथा संगीत के भी ज्ञानी थे। उनको संगीत की शिक्षा ओंकारनाथ ठाकुर जी ने दी थी। 54-55 के दशक में इलाहाबाद से बी.एच.यू. आए; तब वे धर्मवीर भारती (नई कविता) के प्रभाव में थे। लेकिन बनारस आने के बाद उनमें बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ और धीरे-धीरे वे कथा साहित्य की ओर बढ़ने लगे। वे कुछ-कुछ कहानियाँ लिखने लगे। बाद में ‘टट्टू सवार’ नाम से उनका पहला कहानी संग्रह प्रकाशित हुआ। उस समय जब ‘नई कहानी’ का आंदोलन शुरू हुआ था, तब उसमें भी उनकी एक अलग पहचान थी।

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अरेबियन नाइट्स की कहानियाँ

मेरी नजर एक मोटी सी पुस्तक पर पड़ी जिसका नाम था, ‘अरेबियन नाइट्स’ और अनुवादक का नाम था सर रिचार्ड बर्टन। विषय-सूची में अनेक कहानियों के नाम जाने पहचाने लगे, जैसे, सिंदबाद की यात्राएं, अलादीन और जादुई-चिराग, अलीबाबा और चालीस चोर आदि।

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अन्याय के खिलाफ लड़ाई जारी है

कथाकार अनंत कुमार सिंह के उपन्यास ‘ताकि बची रहे हरियाली’ की कथा भूमि बिहार का भोजपुर अंचल है।

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