फकीर मोहन सेनापति का कथा-साहित्य

फकीर मोहन सेनापति ओड़िया साहित्य का अमर कथाशिल्पी हैं। ओड़िया साहित्य को नया यथार्थवादी लेखन की भूमि तैयार करने का श्रेय इन्हें

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मैं और मेरा कविता कर्म

मैंने ‘जाति’ पर सबसे ज्यादा यदि कविताएँ लिखी हैं तो उसके पीछे उपर्युक्त घटनाएँ और दुर्घटनाएँ ही परोक्ष रूप से काम करती रही हैं। मेरा अतीत यदि कुछ और होता तो कभी भी जाति मेरा प्रिय विषय नहीं होती।

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मैं और मेरा कथाकर्म

कहानियाँ जो वर्तमान को गहराई से अंकित तो करे ही, एक गंभीर व सकारात्मक भविष्य-दृष्टि भी सृजित करे, जिससे हमारे समाज को संचालित करने वाली शक्तियाँ सचेत हो सकें।

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समकालीन कहानियों में किन्नर विद्रोह

किन्नर समुदाय के प्रति समाज की मानसिकता बदलनी जरूरी है, साथ ही उन्हें हर क्षेत्र में प्रतिनिधित्व मिले। तब वे इनसान के रूप में खड़े होंगे समाज में।

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माधोपुर का घर

एक पालतू जानवर कहानी के केंद्र में है, जहाँ वह सिर्फ एक पात्र नहीं है। कथाक्रम को बढ़ाने की जिम्मेदारी भी लेखक ने उसी के कंधे पर डाल दिया है।

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कथाकार कमलेश्वर से मुलाकातें

कमलेश्वर साहित्य जगत का जाना-माना नाम है। कथाकार, उपन्यासकार, संपादक और एक्टिविस्ट के रूप में बुद्धिवादियों का एक बड़ा तबका उनकी रचनात्मकता का मुरीद है।

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