कहानी लिखने की वजह

कहानीकारों की चिंता के सरोकार ही कहानी लिखने की वजह बनते हैं। वजह एक नहीं अनेक हैं, किंतु आज आपसे जिस वजह की चर्चा करूँगा वह यह नहीं है कि कहानी मानवता की रक्षा के लिए लिखी जाती रही है,

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मधुकर सिंह की कहानियाँ

किसान, मजदूर, दलित, शोषित, वंचित आमजन के दुख-दर्द को, उनके संघर्ष को अपनी कहानियों का विषय बनाने वाले सुप्रसिद्ध कथाकार मधुकर सिंह की रचनाओं में उनके प्रति गहरी संवेदना है, इसलिए लेखन के साथ ही उन्होंने उन संघर्षों में भागीदारी भी की।

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महानगर में कहानी

मुंबई सबसे अलग है। कोई भी शहर व्यापार, उद्योग, जनसंख्या आदि की दृष्टि से महानगर कहलाने लगता है। पर यह बड़ा होना किसी नगर को महानगर नहीं बनाता। महानगर की अपनी एक संस्कृति अपनी एक सभ्यता होती है।

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पुराकथाओं का सच

पुराकथाएँ काल्पनिकता के अद्भुत कायावरण में ‘सत्य’ को छिपाए रहती है। आमतौर पर लोग कथा के चमत्कार में बरसों उसकी आवृत्ति करते रहते हैं।

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जीवनमूल्य और विश्वसंस्कृति की कहानियाँ

कथाकार तेजेंद्र शर्मा ने अपनी कहानियों से समकालीन विमर्शों की चर्चा की है, लेकिन उनके केवल नारे नहीं लगाए हैं। बीच-बीच में लेखकीय टिप्पणी और पात्रों की स्थिति द्वारा ही वह अपनी बात कह जाते हैं।

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हिंदी की कथा भूमि का विस्तार

स्त्री का प्रतिकार और स्वावलंबन तेजेंद्र शर्मा की कहानियों की बड़ी ताकत है। पुरुषसत्ता की धूर्तता और क्रूरता के कई रूप भी इसी क्रम में उजागर होते हैं। जैसा कि पहले भी संकेत दिया गया, यहाँ तक आते आते उनके कथा शिल्प में निखार आया है और भाषा पर पकड़ मजबूत हुई है। ‘कल फिर आना’ जैसी एक दो विवादास्पद कहानियों को छोड़ दें तो इस संग्रह की अधिकांश कहानियाँ विदेशों में प्रवासी और देश में अनिवासी कहलाने वाले भारतीयों की बड़ी जमात (समाज) के जीवन की उस जद्दोजहद को सामने लाती हैं जो अब तक हिंदी कहानी की जद से बाहर थीं।

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