आम

संस्कृत के एक कवि ने आमवृक्ष को संबोधित कर के कहा है कि हे रसाल ! न तो कोंहड़े के फल के समान तुम्हारे फल होते हैं, न तो बड़-पीपल की तरह तुम्हारी ऊँचाई होती है

और जानेआम

रवि बाबू की कला का लोकवादी स्वरूप

हे कवि, जीवन-संध्या समीप है, तुम्हारे बाल पक गए; क्या तुम्हें अपने एकांत चिंतन में पारलौकिक संदेश सुनाई पड़ता है?

और जानेरवि बाबू की कला का लोकवादी स्वरूप

संस्कृत-साहित्य में एकांकी

भारतीय नाट्य-साहित्य एकांकी की कल्पना से सर्वथा वंचित था, यह स्थापना पश्चिम के प्रति अंध पक्षपात-प्रदर्शन करने के अतिरिक्त कुछ नहीं।

और जानेसंस्कृत-साहित्य में एकांकी

निशीथ

मैं काली रात का सबसे काला धब्बा हूँ और चाँदनी रात का सबसे उज्ज्वल प्रकाश-स्तंभ। मैं वह केंद्र-बिंदु हूँ, जिससे काल की परिधि चारों दिशा में फैलती है।

और जानेनिशीथ

गोर्की-जेलों में !

गोर्की की गिरफ्तारी और जेल में बंद किए जाने के कारण चारों तरफ क्रोधाग्नि भड़क उठी। तमाम रूस ने उसके छुटकारे के लिए आग्रह पूर्वक अनुरोध किया। टालस्टाय भी इस बीमार लेखक के लिए मैदान में उतर आया।सरकार को जनता की इच्छा के आगे मजबूर होकर झुकना ही पड़ा। गोर्की जेल से मुक्त कर दिया गया किंतु उसके बदले में घर में ही नजरबंद हो गया। यहाँ तक कि उसके रसोई-घर और खास बैठक तक में पुलिस तैनात कर दी गई। एक पुलिस का आदमी तो हमेशा ही उसके अध्ययन-कक्ष में घुस आता और उससे वाद-विवाद करने की चेष्टा भी करता।

और जानेगोर्की-जेलों में !

आज का जापानी साहित्य

जापान में इस साहित्यिक त्रिमूर्ति के बहुत से अनुयायी हुए, परंतु उनकी उम्र कम थी इसलिए ज्योंही युद्ध आया त्योंही उन्हें सेना में जाना पड़ा।

और जानेआज का जापानी साहित्य