‘ग़ालिब’ के ख़तों में दिल्ली की कहानी
‘ग़ालिब’ क़लम की ज़बान से बातें करने लगे और ख़तों के आने को यार दोस्तों, सगे-संबंधियों और शागिर्दों का आना समझने लगे।
‘ग़ालिब’ क़लम की ज़बान से बातें करने लगे और ख़तों के आने को यार दोस्तों, सगे-संबंधियों और शागिर्दों का आना समझने लगे।
कला का प्रकाशन आंतरिक तथा बाह्य आधारों पर आश्रित है। उसका आंतरिक आधार कला की मौलिक प्रेरणा है, और उसके वाह्य आधार कला के माध्यम या उपादना होते हैं।
आज से तीन सौ वर्ष से अधिक हुए, जब शाहजहाँ ने अपनी बेगम मुमताज की यादगार में विश्व का आश्चर्य ताजमहल निर्मित किया था।
रामचरित्र की चर्चा हर भाषा के साहित्य में चमकती ही है; वह संथाली-भाषा के साहित्य में भी ‘नहीं’ की शून्यता को बखूबी पूरा करती है।
बर्गसां ने हिंदू रहस्यवाद के स्वरूप का निर्धारण करते हुए उसे स्थित्यात्मक ठहराया है क्योंकि इसमें गतिशील जीवन का स्वर मुखरित नहीं; यह जीवन से एक प्रकार का पलायन है।
1890 से चीनी साहित्य का वर्तमान युग शुरू होता है। तब जो वह साहित्य पश्चिमी संस्कृति और साहित्य के संपर्क में आया तो उसमें आधारभूत परिवर्तन होने लगे।