‘प्रसाद’ का जीवन-दर्शन
श्रद्धावाद तथा अखंड आनंदवाद के प्रतिष्ठापक हिंदी के अमर साहित्यकार ‘प्रसाद’ हिंदी साहित्य में ही नहीं, भारतीय साहित्य में ही नहीं अपितु विश्व-साहित्य में युग-युग तक अपना विशिष्ट स्थान रखेंगे।
श्रद्धावाद तथा अखंड आनंदवाद के प्रतिष्ठापक हिंदी के अमर साहित्यकार ‘प्रसाद’ हिंदी साहित्य में ही नहीं, भारतीय साहित्य में ही नहीं अपितु विश्व-साहित्य में युग-युग तक अपना विशिष्ट स्थान रखेंगे।
शतक-साहित्य तेलुगु वाङ्मयोद्यान की एक सुंदर क्यारी है, जिसकी अनुपस्थिति में उक्त उद्यान की शोभा अपूर्ण ही रह जाएगी।
छत्तीसगढ़ की गरीब भोली-भाली निरक्षर जनता त्यौहारों को अत्यंत महत्त्व देती है। यही कारण है कि उनका गरीब जीवन शहरों के स्वर्गीय जीवन से भी अधिक आनंदमय होता है।
दूर पहाड़ों से आने वाली रोशनी के साथ सैकड़ों कंठों से निकलने वाली मोहक आवाज ने अगर कभी आपका ध्यान खींचा होगा, तो दूसरे ही क्षण आपको समझते देर न लगी होगी कि जंगल के रहने वाले उत्सव मना रहे हैं
थाई लोग कला के बड़े प्रेमी हैं। उनके जीवन से यह सत्य स्वयं प्रकट होता है। सुरुचि और व्यवस्था इनके जीवन के अंग बन गए हैं।
आधुनिक जर्मन कविता में प्रकृति, मनोविज्ञान, वास्तविकता, आदर्श, इतिहास एवं दर्शन का समन्वय परम सुंदर रूप में व्यक्त हुआ है।