उदय राज सिंह के उपन्यासों में स्त्री
‘उदय राज रचनावली’ नाम से चार खंडों में प्रकाशित हो चुका है। उनके उपन्यास साहित्य में अपने समकालीन समाज को बेहद करीब से देखने-परखने की दृष्टि मिलती है,
‘उदय राज रचनावली’ नाम से चार खंडों में प्रकाशित हो चुका है। उनके उपन्यास साहित्य में अपने समकालीन समाज को बेहद करीब से देखने-परखने की दृष्टि मिलती है,
युनुस की उँगलियों के ऊपर सुषमा की उँगलियों की पकड़ मजबूत हो गई। ‘क्या-क्या शिकायतें की होंगी इस लड़के ने? ऊपर से यह।
अनिरुद्ध सिन्हा की रचनाएँ दायित्व बोध से संपन्न है। इनके चिंतन का फ़लक व्यापक है। हिंदी ग़ज़ल में इनके योगदान को नकारा नहीं जा सकता।
अब आवश्यकता इस बात की है कि भारत का प्रत्येक नागरिक हिंदी अम्बेडकर काव्य में चित्रित लोक कल्याण की भावना को समझे और उसके अनुरूप व्यवहार करें।
1961 में आया 'पानी के प्राचीर' रामदरश मिश्र का पहला उपन्यास है, उसके लिखने के पीछे 'मैला आंचल' लेख जैसे आंचलिक उपन्यासों की सबल प्रेरणा रही है।
तुलसीदास की दृष्टि निश्चय ही सदैव आदर्श-चित्रण की ओर रहती थी, पर इस कारण कालिदास के आदर्श को कम स्वच्छ नहीं कहा जा सकता।