अंबेडकर काव्य में जनकल्याण-भावना
अब आवश्यकता इस बात की है कि भारत का प्रत्येक नागरिक हिंदी अम्बेडकर काव्य में चित्रित लोक कल्याण की भावना को समझे और उसके अनुरूप व्यवहार करें।
अब आवश्यकता इस बात की है कि भारत का प्रत्येक नागरिक हिंदी अम्बेडकर काव्य में चित्रित लोक कल्याण की भावना को समझे और उसके अनुरूप व्यवहार करें।
1961 में आया 'पानी के प्राचीर' रामदरश मिश्र का पहला उपन्यास है, उसके लिखने के पीछे 'मैला आंचल' लेख जैसे आंचलिक उपन्यासों की सबल प्रेरणा रही है।
तुलसीदास की दृष्टि निश्चय ही सदैव आदर्श-चित्रण की ओर रहती थी, पर इस कारण कालिदास के आदर्श को कम स्वच्छ नहीं कहा जा सकता।
महीप सिंह से मेरा परिचय 80 के दशक में हुआ और ‘संचेतना’ के लिए कुछ ज्वलंत सवालों पर लिखने की प्रक्रिया आरंभ हुई।
इस ग्रंथ पर इस्लाम और कुरआन की आयतों का सर्वत्र प्रभाव ही नहीं उनके भावों को उद्धाटित किया है जायसी ने।
अपनी निद्रा मेघदूत को बेच दी थी। वे जितने बड़े महान कवि थे, उससे और अधिक महत्तर कवि हो सकते थे। बॉडेलेयर, रिल्के, पास्तरनाक ने नहीं होने दिया। वे हमारे वही ‘फॉलेन एंजेल’ हैं जिन्होंने अपनी उच्चता को कुछ ह्रास कर हमारे हाथों में यूरोप थमा दिया है।