स्वप्न, द्वंद्व और उपलब्धियों के बीच स्त्री लेखन की चुनौतियाँ
अतिआधुनिकता की परिणतियाँ देखने के बाद भी हम चेतते क्यों नहीं? सुबह का भूला शाम को घर वापसी क्यों न सोचें।
अतिआधुनिकता की परिणतियाँ देखने के बाद भी हम चेतते क्यों नहीं? सुबह का भूला शाम को घर वापसी क्यों न सोचें।
‘अनिरुद्ध की गजलें अपने अलग तेवर और जुदा अंदाज के लिए जानी जाती रही हैं। वह हमें गुदगुदाती भी हैं, खरोचती भी हैं, बेचैन भी करती हैं। और सबसे बड़ी बात कि पढ़ने के बाद भी दिलो-दिमाग में तीव्र अनुगूँज छोड़ जाती हैं। यही वजह है
वरिष्ठ गजलकार रवि खंडेलवाल माँ को अपने शेरों में व्यक्त करते हुए कहते हैं कि माँ को कोई जीते जी नहीं समझ सकता। माँ जब नहीं होती है, तभी माँ की कीमत समझ में आती है। माँ के बिना घर बहुत उदास और तन्हा लगता है।
उत्तर यह भी है कि इधर जो युवा रचनाकार हिंदी गजल को अपनी नई सोच, नई दृष्टि और प्रयोगधर्मिता से समृद्ध कर रहे हैं, उनका खैरमकदम जरुरी है। हिंदी गजल में आलोचना का क्षेत्र बेशक कुछ दुर्बल है लेकिन हम इस बात से आश्वस्त हैं
पढ़िए नई धारा रचना सम्मान से सम्मानित रचनाकारों के वक्तव्य। यह सम्मान वर्ष 2007 से प्रतिवर्ष साहित्य के प्रबुद्ध रचनाकारों को दिया जा रहा है।
पढ़िए उदय राज स्मृति सम्मान से सम्मानित रचनाकारों के व्याख्यान। यह सम्मान वर्ष 2007 से प्रतिवर्ष साहित्य के प्रबुद्ध रचनाकारों को दिया जा रहा है।