हिंदी गजल की विकास यात्रा
उत्तर यह भी है कि इधर जो युवा रचनाकार हिंदी गजल को अपनी नई सोच, नई दृष्टि और प्रयोगधर्मिता से समृद्ध कर रहे हैं, उनका खैरमकदम जरुरी है। हिंदी गजल में आलोचना का क्षेत्र बेशक कुछ दुर्बल है लेकिन हम इस बात से आश्वस्त हैं
उत्तर यह भी है कि इधर जो युवा रचनाकार हिंदी गजल को अपनी नई सोच, नई दृष्टि और प्रयोगधर्मिता से समृद्ध कर रहे हैं, उनका खैरमकदम जरुरी है। हिंदी गजल में आलोचना का क्षेत्र बेशक कुछ दुर्बल है लेकिन हम इस बात से आश्वस्त हैं
पढ़िए नई धारा रचना सम्मान से सम्मानित रचनाकारों के वक्तव्य। यह सम्मान वर्ष 2007 से प्रतिवर्ष साहित्य के प्रबुद्ध रचनाकारों को दिया जा रहा है।
पढ़िए उदय राज स्मृति सम्मान से सम्मानित रचनाकारों के व्याख्यान। यह सम्मान वर्ष 2007 से प्रतिवर्ष साहित्य के प्रबुद्ध रचनाकारों को दिया जा रहा है।
जहाँ एक ओर पितृसत्ता का दंश और शोषण झेलती स्त्रियाँ हैं, तो कहीं आदर्श दांपत्य को सँभालती हुई देवियाँ, तो कहीं विकलांगता के बावजूद प्रतिरोध और संघर्ष करती नई स्त्रियाँ हैं तो कहीं स्वयं नारी होकर नारी का ही विरोध व शोषण करती हुई अबोध स्त्रियाँ हैं।
उपन्यास की प्रस्तावना में उन्होंने लिखा है–‘सुना है कभी तानी नाम का कोई फूल कहीं पर खिला था। लोगों की जुबान पर वह सिर्फ एक फूल है–रंगोंवाला फूल–रंगीन फूल–मानो उसमें कोई खुशबू ही नहीं थी
ईश्वर सब जगह है, तुम्हारे भीतर भी बाहर भी। बस यही जान लेना है। ज्यूँ का त्यूँ देखने की आदत डाल लेनी है, ‘दादू द्वैपख रहता सहज सो, सुख-दु:ख एक समान। मरे न जीवे सहज सो पूरा पद निर्वाण।’