बेनीपुरी और उनकी ‘माटी की मूरतें’

बेनीपुरी ने ‘माटी की मूरतें’ जैसी जीवंत-कृति की रचना कर साहित्यिक-सांस्कृतिक चिंतन को साकार रूप देने का सफल प्रयास किया है।

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विष्णुचन्द्र शर्मा आदमी के सपनों के कवि

विष्णुचन्द्र शर्मा की कविता ने उनको ताकीद की है कि तुम्हारे जैसे कवि का जीवन ‘सपनों का आख्यान भर नहीं’ है।

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गाँधी के पद-चिह्नों की खोज में

डांडी में स्थानीय सरकार ने संग्रहालय बनाकर अपने हेरिटेज के साथ गाँधी से संबंधित वस्तुओं तथा दस्तावेजों को सहेज रखा है।

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स्वप्न, द्वंद्व और उपलब्धियों के बीच स्त्री लेखन की चुनौतियाँ

अतिआधुनिकता की परिणतियाँ देखने के बाद भी हम चेतते क्यों नहीं? सुबह का भूला शाम को घर वापसी क्यों न सोचें।

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हिंदी गजल के एक सक्रिय महारथी

‘अनिरुद्ध की गजलें अपने अलग तेवर और जुदा अंदाज के लिए जानी जाती रही हैं। वह हमें गुदगुदाती भी हैं, खरोचती भी हैं, बेचैन भी करती हैं। और सबसे बड़ी बात कि पढ़ने के बाद भी दिलो-दिमाग में तीव्र अनुगूँज छोड़ जाती हैं। यही वजह है

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हिंदी गजल में माँ

वरिष्ठ गजलकार रवि खंडेलवाल माँ को अपने शेरों में व्यक्त करते हुए कहते हैं कि माँ को कोई जीते जी नहीं समझ सकता। माँ जब नहीं होती है, तभी माँ की कीमत समझ में आती है। माँ के बिना घर बहुत उदास और तन्हा लगता है।

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