प्रेमचंद की सर्वश्रेष्ठ कहानी की खोज
प्रेमचंद के इस ‘मंगल भवन अमंगल हारी’ के दर्शन को जिसे वे ‘आदर्शोन्मुख यथार्थवाद’ कहते हैं, उसके केंद्रीय भाव को जानना जरूरी है। प्रेमचंद ने अपने साहित्य-कर्म का उद्देश्य बताते हुए लिखा था कि अपने साहित्य से भारतीय आत्मा की रक्षा तथा स्वराज्य प्राप्त करना उनका लक्ष्य है।