साहित्य सेवा

एक साप्ताहिक के दफ्तर में एक युवक काम कर रहा है–उसकी वेश-भूषा तथा परेशान-बेहाल चेहरा बता रहे हैं कि गरीब की क्या हालत है ।

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सेर आध सेर चावल के लिए

ऐसी गली जिसमें शरणार्थी घुस आए हैं, जिसमें बड़े अफसर मकान की तंगी के कारण अनिच्छापूर्वक रहने को विवश हैं

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छींक

डॉ. रामकुमार वर्मा एकांकी और कविताओं के लिए प्रसिद्ध हैं। उनके एकांकी कई मानी में अपना विशेष महत्त्व रखते हैं। प्रस्तुत रचना शुद्ध हास्य और सरल व्यंग्य का अच्छा उदाहरण है।

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ज्यों की त्यों धरि दीनी चदरिया (रेडियो रूपक)

[तानपूरे पर दूर से आती हुई ध्वनि जो क्रमश: धीरे-धीरे पास आती है।] झीनी झीनी बीनी चदरिया। काहे कै ताना काहे कै भरनी, कौन तार से बीनी चदरिया।

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संध्या की छाया में

मदन–हिंदी का एक लेखक, अथवा हिंदी के लेखकों की साकार परिभाषा। आयु लगभग 35 वर्ष, परंतु चेहरा कहता है कि आयु इससे दस वर्ष अधिक है। करुणा–मदन की पत्नी। माता और पत्नी की संज्ञा लिए भारतीय नारीत्व की ज्वाला पर बुझी-सी। आयु लगभग 30 वर्ष।

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मानव और जीवन

मानव! अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष का समन्वय ही ‘जीवन’ है! इनमें से किसी एक की भी अवहेलना करता है, तो ‘जीवन’ को तथा ‘जीवन’ की शांति को खो बैठता है। अब से भी तू अपने को पहचान और समझ।

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