द्विवेदी जी का पत्र

प्रिय चतुर्वेदी जी, पहले तो आप मुझ पर विशेष कृपा किया करते थे। क्या कारण है जो अब आप मेरी खबर तक नहीं लेते–जीता हूँ या मर गया!

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प्रेमचंद जी का पत्र

प्रिय भाई साहब, वंदे आपका पत्र कई दिनों से आया हुआ है। पहले तो कई बारातों में जाना पड़ा, फिर नैनीताल जाने की जरूरत पड़ गई।

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