चाँद की गवाही में कुकून से निकली औरत

आजकल की पीढ़ी के कुछ युवाओं के कटु यथार्थ हैं, जिनसे खालिस देशी माँ-बाप की देशी मानसिकता को टकराना पड़ रहा है।

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संवेदना की तलाश की कहानियाँ

संग्रह में शामिल कहानी ‘सवाल दर सवाल’ इस देश के गाँवों में रोज होने वाली ऐसी घटनाओं को हमारे सामने बेपर्द करती है

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सींग पैने हैं

शैली की बात आई है तो इसी संग्रह की ‘प्रभु बोर हो रहे हैं’ रचना याद आ रही है। लेखक ने कल्पना की है कि कोरोना का प्रोटोकॉल क्षीरसागर तक पहुँच गया है

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ठहराव के विरुद्ध का सृजन-संसार

यह ‘तलवार की धार पे धावनो है’ जैसा ही होता है। अनिरुद्ध जी उम्मीद का दामन कभी नहीं छोड़ते।

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संघर्ष की तस्वीर उकेरती कहानियाँ

इस संग्रह की कहानियों में एक नये संवेदनशील समाज को गढ़ने के बहुत से सूत्र समाहित हैं। यह संग्रह पठनीय होने के साथ-साथ ही संग्रहनीय भी बन पड़ा है।

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समय से संवाद करती कविताएँ

कहीं वे एक वात्सल्य से भरे पिता की तरह दिखाई देते हैं तो कहीं एक जिम्मेवार पुत्र की तरह, कहीं एक सहज और सरल पति की तरह,

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