‘वेलि क्रिसन रुकमणी री’
‘राठौर राज प्रिथीराज री कही वेलि क्रिसन रुकमणी री’ डिंगल की प्रसिद्ध रचना है। ये वे ही इतिहास प्रसिद्ध पृथ्वीराज हैं जिन्होंने अकबर से संधि का प्रस्ताव करने पर महाराणा प्रताप को क्षोभपूर्ण पत्र लिखा था।
‘राठौर राज प्रिथीराज री कही वेलि क्रिसन रुकमणी री’ डिंगल की प्रसिद्ध रचना है। ये वे ही इतिहास प्रसिद्ध पृथ्वीराज हैं जिन्होंने अकबर से संधि का प्रस्ताव करने पर महाराणा प्रताप को क्षोभपूर्ण पत्र लिखा था।
यह विश्व वैलक्षण्य तथा विरोधी भावों का एक समष्टि-रूप है जिसके काँटे में पुष्प, अंधकार में प्रकाश, रोदन में हास, संयोग में वियोग एवं विराग में अनुराग है।
प्राक्-गोदान युग के उपन्यासों में तथा गोदान में कोई विचारधारागत मौलिक प्रभेद नहीं है। दोनों अवस्थाओं में वे जनवादी हैं
इन ‘वादों’ की प्रवृत्ति हममें प्रतिहिंसा की भावना जागरुक करती है जो कला और साहित्य के कलाकार और साहित्यकार को कोसों दूर हटा दे सकती है।
1890 से चीनी साहित्य का वर्तमान युग शुरू होता है। तब जो वह साहित्य पश्चिमी संस्कृति और साहित्य के संपर्क में आया तो उसमें आधारभूत परिवर्तन होने लगे।
तुलसीदास भारतीयता के प्रतीक हैं। उन्होंने भारतीय दर्शन, धर्म और साहित्य की जो प्रतिष्ठा अपनी रचनाओं में की है, वह किसी साहित्यकार द्वारा संभव नहीं हो सकी।