‘उर्वशी’—एक दृष्टि
कसाव तथा ढिलाव के बीच की स्थिति में अवस्थित वीणा के तारों से झंकृत रागिनी के शुभ्र कल्लोल में किसी को समन्वयवाद का संदेश मिलता है, तो कोई प्रकृति के विचित्र विधान पर मुग्ध होता है। भावना अपनी होती है और आधार पुराना। कथानक यदि प्राचीन है, तो कवि की महत्ता इसमें है कि उसे प्राचीन रहते हुए भी आधुनिक बना दे।