इस्लामी साहित्य में प्रेम का तत्त्वज्ञान

भिन्न-भिन्न राष्ट्रों ने अपनी-अपनी संस्कृति के अनुसार प्रेम का प्रकाश करने के लिए भिन्न-भिन्न रीतियाँ निकाल रखी हैं।

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साहित्य में आदर्श और यथार्थ

दार्शनिक भूमिका पर आदर्शवाद अनेकता में एकता देखने का प्रयत्न करता है। वह विशृंखलता में शृंखला, निराशा में आशा, दुख में सुख-समाधान की प्रतिष्ठा करने का उद्देश्य रखता है।

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बलिपथ के गीत

जब राष्ट्रोत्थान की भावना दिनोंदिन अपना व्यापक रूप धारण करती जा रही थी, उन दिनों भी ‘मिलिंद’ मिलिंद था। वह कभी अकोला में अध्ययन करता था, तो कभी पूना के तिलक विद्यापीठ की परीक्षा देता था।

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सूफियों का प्रेम-तत्त्व

सूफी मार्ग की अंतिम मंजिल प्रेम और मारिफ (ज्ञान) हैं, जिनके द्वारा साधक परमात्मा के दर्शन करता है और अंत में उसके साथ एकमेक हो जाता है।

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आधी शताब्दी के विश्व-साहित्य की रूपरेखा

फ्रांस की क्रांति में जनता ने जिस स्वर्णिम विहान का स्वप्न देखा था, वह चूर-चूर हो गया; वैज्ञानिक आविष्कारों ने तप्त मरु में जलती हुई

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अश्क की एकांकीकला

‘अश्क’ के एकांकी कल्पना के व्योम में विहार करने वाले रूमानी कवि की स्वप्निल पृष्ठभूमि पर विनिर्मित नहीं हुए हैं, उनमें यथार्थवाद की ठोस अनुभूतियों, मानसिक विश्लेषण तथा अंतर्द्वंद्व का निदर्शन है।

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