मनुष्यता को बचाने की आवाज
नीलोत्पल की कविताएँ मानवता की पक्षधर हैं। वह ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना से सराबोर ‘जियो और जीने दो’ की हिमायत है।
नीलोत्पल की कविताएँ मानवता की पक्षधर हैं। वह ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना से सराबोर ‘जियो और जीने दो’ की हिमायत है।
अगर आप समय के साहित्य, समाज को जानना चाहें–राधेश्याम तिवारी के कवि से मिलना चाहें तो ‘कोहरे में यात्रा’ जरूर पढ़ें।
संपादक बलराम के कुशल संपादन एवं परिश्रम से ‘समकालीन भारतीय साहित्य’ का यह साफ-सुथरा अंक प्रशंसनीय बन पड़ा है।
संपादक बलराम के कुशल संपादन एवं परिश्रम से ‘समकालीन भारतीय साहित्य’ का यह साफ-सुथरा अंक प्रशंसनीय बन पड़ा है।
‘एक ऐसी भी निर्भया’ उपन्यास नारी जीवन के दर्दनाक चित्र का अक्षर रूप है। लेखिका अपने सहज रूप में सामाजिक विसंगतियों के प्रति आक्रोश जाहिर करनेवाली और पीड़ित, शोषित नारी के प्रति संवेदनशील एवं मानवीय मूल्यों के प्रति निष्ठा रखनेवाली हैं।
दर्जनों पुस्तकों के रययिता जियालाल आर्य का सद्यः प्रकाशित उपन्यास ‘क्रांतिजोती सावित्री फुले’ देश की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्री फुले के चरित्र को औपन्यासिक शिल्प में ढालने का सफल प्रयास है। समीक्ष्य उपन्यास में ब्राह्मणों का शूद्रों और महिलाओं के लिए तालिबानी रूप दिखाया गया है।