मुख्यधारा के झाँसे से बाहर की कहानियाँ
संग्रह में सुरेश उनियाल की सभी कहानियाँ जीवन से जुड़े सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक भी, पक्ष से सीधे तादात्म्य स्थापित करती हैं। कहानियों की भाषा जमीनी है और अभिव्यक्ति सूझ-बूझ के साथ पाठक में विलय होने में समर्थ है।