नक्सल आंदोलन की एक असमाप्त कथा
मॉरिशस के प्रेमचंद अभिमन्यु अनत कहते हैं ‘शोषित मानव शोषण का आदी होकर उसे जीवन की स्वाभाविकता मान लेता है और उस लिजलिजेपन को संतोष के साथ जीता रहा है। लेखक उसके कानों में सिर्फ इतना ही कहता है कि जिसे वह भाग्य का लेख समझता है, वह कानून नहीं–उसे तोड़ना है। यह चेतना होती है, इसके बाद उपाय और सक्रियता आदमी की अपनी जिम्मेदारी होती है।’ आलोच्य उपन्यास ‘एक असमाप्त कथा’ की लेखिका रमा सिंह ने इसके तनुश्री, जगमोहन बड़ाईक तथा मास्टर काका ब्रह्मदेव यादव जैसे पात्रों के माध्यम से नक्सल बनने का कारण और मानवता क्षरण को दर्शाने में सफलता पाई है।