मैत्रेयी पुष्पा के उपन्यासों में स्त्री विमर्श
इन दिनों हमारे घर में एक नया मुहावरा निर्मित हुआ है–‘मैत्रेयी का जाग जाना’। जब भी मैं किसी बात का विरोध करती हूँ तो घरवाले कहते हैं, “इसके अंदर की मैत्रेयी जाग गई।”
इन दिनों हमारे घर में एक नया मुहावरा निर्मित हुआ है–‘मैत्रेयी का जाग जाना’। जब भी मैं किसी बात का विरोध करती हूँ तो घरवाले कहते हैं, “इसके अंदर की मैत्रेयी जाग गई।”
शतक-साहित्य तेलुगु वाङ्मयोद्यान की एक सुंदर क्यारी है, जिसकी अनुपस्थिति में उक्त उद्यान की शोभा अपूर्ण ही रह जाएगी।