रचनाकारों का सुवास

कवि कदमकुआँ स्थित महिला चरखा समिति में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आमंत्रण पर काव्यपाठ करते थे। स्वतंत्र भारत में किंचित पहली बार किसी जनांदोलन में पटना की सड़कों पर कवियों-रचनाकारों की सीधी भागीदारी दर्ज की गई।

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बाजार की गोद में फिसलता बचपन

अभी पिछले हफ्ते एक राज्यस्तरीय संगोष्ठी में मुझे बुलाया गया, जो वैश्वीकरण के दुष्परिणामों से प्रभावित बाल मनोविज्ञान से संबंधित था। संगोष्ठी में कई तरह के पर्चे पढ़े गए, जो विकासशील देशों के शहरी बच्चों की तंग होती दुनिया की त्रासदी से परिचित कराने वाले थे।

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‘नई आवाज़ें’ 2023 – युवा हिन्दी कवियों के लिए काव्य प्रतियोगिता

‘नई आवाज़ें’ कविता प्रतियोगिता एक बार फिर हाज़िर है! भाग लेने के लिए पोस्ट में दिए गए सभी बिंदुओं को ध्यान से पढ़ें। 

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जीवन के संत्रास को व्यक्त करती लघुकथाएँ

रचनाकार कुशल, संवेदनप्रज्ञ एवं दृष्टिसंपन्न हो तो वह हाइकू में भी प्राण डाल सकता है, फिर लघुकथा की तो बात ही क्या है! लघुकथा समग्र जीवन का एकांत चित्रण-सौंदर्य है।

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गजलों के गाँव में

यही कारण है कि बीते कई वर्षों से हिंदी गजलें ‘नई धारा’ में ससम्मान प्रकाशित होती रहीं। पाठकों-गजलकारों ने ‘नई धारा’ का गजल-अंक प्रकाशित करने का दवाब भी बनाया। आखिरकार हमने सबका सम्मान करते हुए गजलों के गाँव में पर्यटन का मन बनाया और यह अंक आपके सामने है। आशा है गजलों के गाँव में हमारा पर्यटन पाठकों को पसंद आएगा।

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