राहुल सांकृत्यायन की विदेश-यात्रा

राहुल जी बहुआयामी चेतना के घुमक्कड़ विद्वान थे। उनका मानना था कि घुमक्कड़ी से मनुष्य में समता-दृष्टि उत्पन्न होती है।

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डॉ. नीरू झा को गुस्सा क्यों आता है?

डॉ. नीरू झा की बेटियाँ सुंदर दिखने की होड़ में इस कदर दिवानी हैं कि उन्हें समझाने में उसका अपना रक्तचाप बढ़ता जा रहा है।

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बर्बर समय में प्रेम

सन् 1974 के बिहार आंदोलन में अनेक युवा जोड़ों ने सहजीवन की घोषणा की थी, आज प्रायः सभी जोड़े तनाव में जी रहे हैं।

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रचनाकारों का सुवास

कवि कदमकुआँ स्थित महिला चरखा समिति में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आमंत्रण पर काव्यपाठ करते थे। स्वतंत्र भारत में किंचित पहली बार किसी जनांदोलन में पटना की सड़कों पर कवियों-रचनाकारों की सीधी भागीदारी दर्ज की गई।

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बाजार की गोद में फिसलता बचपन

अभी पिछले हफ्ते एक राज्यस्तरीय संगोष्ठी में मुझे बुलाया गया, जो वैश्वीकरण के दुष्परिणामों से प्रभावित बाल मनोविज्ञान से संबंधित था। संगोष्ठी में कई तरह के पर्चे पढ़े गए, जो विकासशील देशों के शहरी बच्चों की तंग होती दुनिया की त्रासदी से परिचित कराने वाले थे।

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‘नई आवाज़ें’ 2023 – युवा हिन्दी कवियों के लिए काव्य प्रतियोगिता

‘नई आवाज़ें’ कविता प्रतियोगिता एक बार फिर हाज़िर है! भाग लेने के लिए पोस्ट में दिए गए सभी बिंदुओं को ध्यान से पढ़ें। 

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