प्रतिरोधी चेतना के साहित्यकार उदय राज सिंह
हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार उदय राज सिंह का संपूर्ण रचनाकर्म मध्यवर्गीय नागर समाज के बहुपरतीय जीवन-संघर्ष और भावनात्मक रिश्ते की संवेदना को उकेरता अपने समय का जीवंत दस्तावेज है।
हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार उदय राज सिंह का संपूर्ण रचनाकर्म मध्यवर्गीय नागर समाज के बहुपरतीय जीवन-संघर्ष और भावनात्मक रिश्ते की संवेदना को उकेरता अपने समय का जीवंत दस्तावेज है।
समय देखता रहेगा! लोगों की फाग-मस्ती परवान चढ़ती ही रहेगी! हाँ, महानगरों में इस मस्ती का एहसास थोड़े विलंब से होता है,
डॉ. नायर सरलचित्त-रचनाधर्मी थे, वे अंतिम साँस तक ‘नई धारा’ के माध्यम से उत्तर और दक्षिण भारत के शब्दसेतु बने रहे!
अंग देश में एक सभ्यता का जन्म हुआ, जिसे अपने व्रात्यकांड में अथर्ववेद ने व्रात्य सभ्यता के नाम से चिह्नित किया।
इस अराजकता से मुक्ति के द्वारा सामाजिक शांति-सद्भाव के लिए मक्खलि गोसाल के दर्शन को समझना जरूरी है।
हमें नई शिक्षा-नीति के प्रति विश्वास रखते हुए भारतीय शिक्षा व्यवस्था को विश्वस्तरीय करने की दिशा में कदम बढ़ाने ही होंगे।