व्रात्य सभ्यता और अंगिका

अंग देश में एक सभ्यता का जन्म हुआ, जिसे अपने व्रात्यकांड में अथर्ववेद ने व्रात्य सभ्यता के नाम से चिह्नित किया।

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आजीवक मक्खलि गोसाल

इस अराजकता से मुक्ति के द्वारा सामाजिक शांति-सद्भाव के लिए मक्खलि गोसाल के दर्शन को समझना जरूरी है।

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नई शिक्षा नीति और भाषा

हमें नई शिक्षा-नीति के प्रति विश्वास रखते हुए भारतीय शिक्षा व्यवस्था को विश्वस्तरीय करने की दिशा में कदम बढ़ाने ही होंगे।

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अवसर की पहचान

कई बार ऐसा होता है कि हम जो चाहते हैं, वह नहीं होता। बल्कि अक्सर ऐसा ही होता है। हम चाहते कुछ हैं और होता कुछ और है–चाहने से कुछ कम या फिर ज्यादा। हमारे चाहने की अपनी सीमा है, जिसके इर्द-गिर्द ही हम डोलते रहते हैं। लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि हम अपनी सीमा के विस्तार से अंजान सीमित दायरे में ही अपने लिए कुछ चाहते हैं, जबकि वक्त-विधाता के हाथों मिलना बहुत ज्यादा होता है। हर व्यक्ति के जीवन में ऐसे अवसर आते हैं। इसलिए अवसर को पहचान पाने का विवेक स्थिर करना बहुत जरूरी होता है। जीवन की दिशा उसी पर निर्भर होती है। दिशा सही हो, तो जीवन में सफलता दर सफलता मिलती चली जाती है। सफलता का अमीरी-गरीबी से कोई संबंध नहीं होता।

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साहित्य का समाजशास्त्र

उड़िया-बंगला के लेखकों को किसी क्षेत्र के सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन के गढ़ने-रचने की प्रेरणा पर्ल बक से मिली, ऐसा माना जाता है। उन्नीसवीं शती के आरंभ में अँग्रेजी, रूसी, फ्रांसीसी आदि भाषाओं के लेखक अपने-अपने क्षेत्र के देशकाल का सामाजिक-सांस्कृतिक आख्यान प्रस्तुत कर रहे थे।

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डायरी के तीन पन्ने

अमेरिका में कोई तीन करोड़ लोग योग करते हैं, फिर भी हमने कभी इंटलैक्चुवल प्रॉपर्टी राइट (आई.पी.आर.) का दावा नहीं किया।

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