तेजेंद्र शर्मा का सृजन-संसार

कथाकार तेजेंद्र शर्मा का रचनात्मक व्यक्तित्व इतना सम्मोहक है कि हम उनसे दूर रहना भी चाहें, तो वे हमारी ओर बाँहें पसार मुक्तकंठ गा उठते हैं–‘जो तुम न मानो मुझे अपना, हक तुम्हारा है/यहाँ जो आ गया इक बार, बस हमारा है!’ कथाकार तेजेंद्र शर्मा के सृजन-संसार को ‘नई धारा’ का सलाम!

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भारत में किसानी

भारतीय रिजर्व बैंक के 80 साल पूरे होने पर मुंबई में आयोजित स्थापना दिवस समारोह में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बैंकों को किसानों को कर्ज देने में उदारता बरतनी चाहिए।

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पत्रकार या मजदूर!

पत्रकारों पर मजदूरों के लिए बनाए गए कानून लागू हैं या नहीं, यह एक प्रश्न उठा है। मजदूरों के लिए जो कानून बने हैं, वे उन्हें कुछ सुरक्षाएँ और सुविधाएँ देते हैं–वे बिना कारण के हटाए नहीं जा सकते, ऐसा करने पर उनकी क्षतिपूर्ति करनी पड़ेगी

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जयंति ते सुकृतिना रससिद्धा: कवीश्वरा:

आचार्य विनोबा के भूदान-यज्ञ को छोड़कर, ऐसा कुछ नहीं हुआ है, जिसमें जनता के लिए कुछ दिलचस्पी हो। किंतु इस भूदान-यज्ञ में भी राजनीति, नहीं, कूटनीति, घुस रही है।

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शिवपूजन जी को सरकारी अनुदान

हमें यह जानकर बड़ी प्रसन्नता हुई है कि आचार्य शिवपूजन सहाय जी को बिहार सरकार ने उनकी चिकित्सा के लिए पाँच हज़ार रुपए का अनुदान दिया है

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शिवदान सिंह बनाम राजकमल

संपादक और प्रकाशक का संबंध कैसा हो? इस प्रश्न के साथ अनेक प्रश्न उठते हैं–क्या प्रकाशक को यह अधिकार है कि वह जब चाहे संपादक को निकाल बाहर कर दे?

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