प्रसाद की याद

अनुदिन हमारे घंटों पर घंटे साथ बीता करते फिर भी मन न अघाता। प्रसाद जी कितने ही विषयों के आकर, जो प्रसंग चल पड़ता उसी में स्वाद मिलता।

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भारत का छकड़ा

हिंदी में जब ‘प्रगति’ के नाम पर बहुत कुछ हो रहा है और लोग इसके पीछे न जाने किस-किस की गति बना रहे हैं, तब यहाँ इस क्षेत्र में भी ‘भारतेंदु’ का कुछ करतब देख लेना चाहिए।

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