महाकवि ‘नीरज’ संग वह रसवंती शाम

यहाँ नीरज ने अपराध, प्यार सब संस्कृत निष्ठ शब्दावली का प्रयोग किया है और दूसरी ओर आदमी शब्द का उपयोग है, मनुष्य, का नहीं। कविता की संप्रेषणीयता का सबसे सहज स्वरूप आधुनिक हिंदी कविता में नीरज के यहाँ मिलता है।

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कविता की परख ही श्रेष्ठ संपादन की कसौटी है

जैसे सुनार पुराने आभूषण को गलाकर नया स्वर्ण आभूषण गढ़ता है और इस तरह नए और पुराने का भेद समाप्त हो जाता है।

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कवि शैलेन्द्र

शैलेन्द्र हिंदी के सबसे बड़े गीतकार हैं। ऐसा इसलिए कि भाषा की ऐसी सादगी, बहाव और लोच किसी दूसरे गीतकार में नहीं।

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पत्रकारिता के धवल पुरुष जितेंद्र सिंह

पत्रकारिता के धवल ही नहीं एक उन्नत शिखर भी थे पत्रकार जितेंद्र सिंह। गौरवर्ण, उन्नत ललाट और अतिशय विनम्र। बी.एच.यू. से हिस्ट्री में गोल्ड मेडलिस्ट। पहले इलाहाबाद में पं. नेहरू जी के अखबार ‘लीडर’ में पत्रकारिता की

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एक कोमल-सी याद : रमेश रंजक

रंजक जनकवि थे। उन्हें जनता के बीच दुबारा कैसे लाया जाय, इसकी फ़िक्र फ़िक्रमंदों को करनी चाहिए। उनकी प्रशंसा के पुल बाँधकर हम वह नहीं कर पाएँगे जो यह कविताएँ चाहती हैं।

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हिंदी गजल पर शोध के बहाने

हिंदी गजल की विकास यात्रा का श्रीगणेश अमीर खुसरो की उन गजलों से होता है जिनमें किसी न किसी रूप में हिंदी का रंग विद्यमान है। तब से हिंदी गजल के क्षेत्र में स्फुट लेखन की परंपरा अनवरत जारी है। कबीर, भारतेंदु हरिश्चंद्र, लाला भगवानदीन, निराला, अंचल, हरिकृष्ण प्रेमी, बलवीर सिंह रंग आदि ने इस विधा को समृद्ध किया।

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