कवि शैलेन्द्र

शैलेन्द्र हिंदी के सबसे बड़े गीतकार हैं। ऐसा इसलिए कि भाषा की ऐसी सादगी, बहाव और लोच किसी दूसरे गीतकार में नहीं।

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पत्रकारिता के धवल पुरुष जितेंद्र सिंह

पत्रकारिता के धवल ही नहीं एक उन्नत शिखर भी थे पत्रकार जितेंद्र सिंह। गौरवर्ण, उन्नत ललाट और अतिशय विनम्र। बी.एच.यू. से हिस्ट्री में गोल्ड मेडलिस्ट। पहले इलाहाबाद में पं. नेहरू जी के अखबार ‘लीडर’ में पत्रकारिता की

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एक कोमल-सी याद : रमेश रंजक

रंजक जनकवि थे। उन्हें जनता के बीच दुबारा कैसे लाया जाय, इसकी फ़िक्र फ़िक्रमंदों को करनी चाहिए। उनकी प्रशंसा के पुल बाँधकर हम वह नहीं कर पाएँगे जो यह कविताएँ चाहती हैं।

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हिंदी गजल पर शोध के बहाने

हिंदी गजल की विकास यात्रा का श्रीगणेश अमीर खुसरो की उन गजलों से होता है जिनमें किसी न किसी रूप में हिंदी का रंग विद्यमान है। तब से हिंदी गजल के क्षेत्र में स्फुट लेखन की परंपरा अनवरत जारी है। कबीर, भारतेंदु हरिश्चंद्र, लाला भगवानदीन, निराला, अंचल, हरिकृष्ण प्रेमी, बलवीर सिंह रंग आदि ने इस विधा को समृद्ध किया।

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प्यारी सी गौरैया

जब पढ़ती हूँ गौरैया की संख्या चिंताजनक रूप से कम होती जा रही है, गौरैया संरक्षण पर चर्चा हो रही है, लेख लिखे जा रहे हैं तब मुझे अपने परिसर में बसी शताधिक गौरैयों को देखकर ऐसा गर्व होता है मानो इनका यहाँ होना मेरी वजह से संभव हो रहा है। लोग जब गौरैयों की आश्चर्यजनक उपस्थिति पर दंग होते हैं मैं उपलब्धि से भर जाती हूँ। गौरैया पर बात करने से पहले परिसर का भूगोल बताना चाहती हूँ जहँ कई किस्म के पक्षी निःशंक रहते हैं।

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उदय राज सिंह

हिंदी के तपोनिष्ठ साहित्य-साधक उदयराज सिंह का जन्म सूर्यपुरा (रोहतास) राजवंश में 5 नवंबर, 1921ई. को हुआ। अल्पवय से ही उदयराज सिंह में साहित्य के प्रति रुचि थी।

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