प्यारी सी गौरैया

जब पढ़ती हूँ गौरैया की संख्या चिंताजनक रूप से कम होती जा रही है, गौरैया संरक्षण पर चर्चा हो रही है, लेख लिखे जा रहे हैं तब मुझे अपने परिसर में बसी शताधिक गौरैयों को देखकर ऐसा गर्व होता है मानो इनका यहाँ होना मेरी वजह से संभव हो रहा है। लोग जब गौरैयों की आश्चर्यजनक उपस्थिति पर दंग होते हैं मैं उपलब्धि से भर जाती हूँ। गौरैया पर बात करने से पहले परिसर का भूगोल बताना चाहती हूँ जहँ कई किस्म के पक्षी निःशंक रहते हैं।

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उदय राज सिंह

हिंदी के तपोनिष्ठ साहित्य-साधक उदयराज सिंह का जन्म सूर्यपुरा (रोहतास) राजवंश में 5 नवंबर, 1921ई. को हुआ। अल्पवय से ही उदयराज सिंह में साहित्य के प्रति रुचि थी।

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तीन पीढ़ियों की–एक साहित्यिक कड़ी का अवसान

शीला जी साहित्यकार नहीं थीं लेकिन तीन पीढ़ियों की साहित्यिक विरासत की गवाह थीं। साहित्य और साहित्यकारों के प्रति उनके मन में असीम आदर का भाव रहता।

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समाजसेविका शीला सिन्हा

श्रीमती शीला सिन्हा एक कुशल गृहणी, आदर्श पत्नी, गौरवमयी माता, निष्ठावान समाज सेविका और सर्वजन हिताय मानव स्वरूपा थीं।

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