सत्यनारायण शर्मा : स्मृति एक असंभव संभव की
सत्यनारायण शर्मा राँची के ही हैं। वह पश्चिम जर्मनी में प्रोफेसर हैं। इन दोनों ही सूचनाओं का मुझ पर जादू जैसा प्रभाव पड़ा। उस समय तक मुझे केवल इतना ही पता था कि राँची में एक लेखक हैं, जिनका नाम राधाकृष्ण है, जिनकी कहानी ‘वरदान का फेर’ हम छात्रों को उस समय पढ़ाई भी जाती थी। राधाकृष्ण ‘घोष बोस बनर्जी चटर्जी’ के नाम से भी लिखा करते थे।