दिल से संसद तक तेजेंद्र ही तेजेंद्र
तेजेंद्र शर्मा–यह नाम मस्तिष्क में आते ही मानो हलचल सी होने लगती है। उसकी याद के साथ साथ उससे मिलने की बेचैनी मन में बढ़ने लगती है। उसकी सुंदर, गहरे बेधने वाली आँखें और होंठों की भोली मुस्कान नटखट कान्हा की तर्ज पर ही बनी है। द्वापर के उस महानायक से यह हमारा नायक कुछ मिलता जुलता सा लगता है। याद नहीं कब से उसे जानता हूँ, लगता है कई युग बीत गए हैं।