शरतचंद्र संबंधी मेरे संस्मरण (पाँचवीं कड़ी)
जब शरतचंद्र बरमा से कलकत्ते आए थे तब अपने साथ वह एक कुत्ता भी लाए थे। जब लाए थे तब वह बहुत छोटा था, ऐसा उन्होंने मुझे बताया था। पर बाद में वह बहुत बड़ा हो गया था और एक खूँखार–किंतु बहुत ही बदसूरत–भेड़िए की तरह दिखाई देता था।