टॉल गुरु

भट्टजी एकांकियों के लिए प्रसिद्घ हैं। कविरूप में भी इनकी प्रसिद्धि है! किंतु यह शब्दचित्र देखिए, कैसा सजीव। शब्द रेखा बनकर बोल रहे हैं! कलाकार हर क्षेत्र में कलाकार है!

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निशानियाँ

यह मिर्जापुर का जिला जेल! जेल, जानवरों की श्रेणी में गिने जाने वाले, कसूर वाले कैदियों का दौलतखाना! भीतर रहने वालों की बात तो नहीं मालूम पर वे ही कैदी जब बाहर होते हैं तो मुस्कुराकर कानी ऊँगली इसके फाटक की ओर दिखा कर कहते हैं–ससुराल!

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बाबू साहब का हाथी

बाबू साहब को अपने बेटे के विवाह में एक हाथी मिला था। जब उसका प्रथम शुभागमन उनके दरवाजे पर हुआ था तो गाँव के लोगों की भीड़ इकट्ठी हो गई थी और एक-एक व्यक्ति के कंठ से उसकी प्रशंसा के शब्द निकलने लगे थे।

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