पूछा जो बार-बार Post author:sanjay.panday Post published:October 1, 1951 Post category:काव्य धारा Post comments:0 Comments पूछा जो बार-बार कैसे तुम रेखाकार और जानेपूछा जो बार-बार
सामने सागर भरा फिर भी रहे प्यासे! Post author:sanjay.panday Post published:October 1, 1951 Post category:काव्य धारा Post comments:0 Comments सामने सागर भरा फिर भी रहे प्यासे! हो गए जीवन अनोखी एक उपमा-से और जानेसामने सागर भरा फिर भी रहे प्यासे!