मैत्रेयी पुष्पा के उपन्यासों में स्त्री विमर्श

इन दिनों हमारे घर में एक नया मुहावरा निर्मित हुआ है–‘मैत्रेयी का जाग जाना’। जब भी मैं किसी बात का विरोध करती हूँ तो घरवाले कहते हैं, “इसके अंदर की मैत्रेयी जाग गई।”

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एक ऐसी भी निर्भया : एक स्त्री की शोषण गाथा

‘एक ऐसी भी निर्भया’ उपन्यास नारी जीवन के दर्दनाक चित्र का अक्षर रूप है। लेखिका अपने सहज रूप में सामाजिक विसंगतियों के प्रति आक्रोश जाहिर करनेवाली और पीड़ित, शोषित नारी के प्रति संवेदनशील एवं मानवीय मूल्यों के प्रति निष्ठा रखनेवाली हैं।

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भींगी हुई लड़की : स्त्री विमर्श का अभिनव प्रयोग

हिंदी उपन्यास ने अपने जीवन के 146 साल पूरे कर लिये। 1870 में रचित पं. गौरीदत्त के पहले उपन्यास ‘देवरानी जेठानी की कहानी’ से लेकर 2016 में लिखित-प्रकाशित डॉ. मधुकर गंगाधर के उपन्यास ‘भींगी हुई लड़की’ के बीच हिंदी उपन्यास को कई पड़ावों से होकर गुजरना

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स्त्री सशक्तिकरण : दशा, दिशा एवं संभावनाएँ

विकास के लिए महिलाओं के सशक्तिकरण से अधिक प्रभावी तरीका कुछ नहीं है। इस बयान से अधिक सटीक तरीके से महिलाओं की क्षमता का परिचय और कोई नहीं हो सकता।

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