बुल्लेशाह, तू हासिल की कीता!

बीरबल ने जवाब के लिए पहले एक महीने का समय माँगा और बादशाह ने दिया। जब महीने के भीतर भी जवाब न दे पाया

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वे किसी की निंदा नहीं करते

समाज में आप जैसे लोगों की ज़रूरत है, जो किसी की निंदा नहीं करते, वरना तो आप देख ही रहे हैं न दुनिया को।

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एक पी-एच.डी. का सवाल है…

थीसिस की आत्मा एक है, पर लेखक, कागज, टाइप और बाइंडिंग बदलती रहती है। जिस तरह मनुष्य जीर्ण-शीर्ण वस्त्र त्यागकर नये वस्त्र धारण करता है,

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एसीबी के चक्कर में

अगले ही पल, चिपकूआइन के चेहरे पर आड़ी-टेढ़ी चिंता की लकीरें लट्ठ की तरह से सीधी खड़ी हो गईं। गुस्से से मुँह लाल हो गया।

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मच्छरदानी

मच्छरों से डरकर, हारकर कैद हो रहा है इनसान और अपने कैदखाने का नाम दे रहा है–मच्छरदानी। इतने में बिजली आ गई और डॉ. साहिबा चाय

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बिच्छू के दंश से घोंघा सड़क पर

बिच्छू–पैसा और पावर जब तक आंदोलन की राह में नहीं आते, तभी तक वे अपनी असली जंग लड़ते हैं। इनके आते ही आंदोलन के सर्वे-सर्वाओं की आपसी जंग शुरू हो जाती है। खामियाजा मेरे जैसा निर्दोष ही भुगतता है।

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