
मनुष्य और जानवर
प्रभु के मृत्युलोक भ्रमण का आँखों देखा हाल सुनाया फिर बोले–‘आज मनुष्य वाकई जानवर से भी बदतर हो चुका है,
प्रभु के मृत्युलोक भ्रमण का आँखों देखा हाल सुनाया फिर बोले–‘आज मनुष्य वाकई जानवर से भी बदतर हो चुका है,
बाइक पर चलते समय अथवा कार चालन के समय हमारे प्रोफेसर साहब सचेत रहते हैं कि राह में बातचीत के योग्य कोई सुपात्र न छूट जाए।
चहुँ ओर गिव अप की बहार छाई है। देखो, कोयल सरकार का अनुरोध मानकर अपनी कूक को पूरी तरह गिव अप कर कौए की भाषा में काँव-काँव कर रही है। बिल्लियाँ दूध को गिव अप कर चाय का सेवन कर रही हैं। मुर्गों ने बाँग देना गिव अप कर दिया है। कुत्तों ने भौंकना गिव अप कर दिया। सारा माहौल गिव अप मय हो गया है। यह दिन पहले कहाँ था, यह समय पहले कहाँ थे। देखो, सब ओर गिव अप ही गिव अप हैं चहुँ ओर गिव अप की बहार है।
वह आलोचक है। बहुत बड़ा है। बड़ा वह इसलिए नहीं है कि वह आलोचक है। वह आलोचक बड़ा है। उसकी ऊँचाई बाँस से भी ज्यादा है, ताड़ से भी ज्यादा है। उस का फैलाव, उसका दबाव पहाड़ से भी ज्यादा है।
‘मुझे कहते हैं सब रिश्वत लाल मैंने कर डाला सबको हलाल, कि तेरा-मेरा साथ रहेगा। बरसों से पहचाने मुझको जमाना घूस, दस्तूरी, सलामी, नजराना, घूस दिए बिना चले नहीं जाना सारी दुनिया को करता बेहाल, मैं करता हूँ हरदम कमाल
गालियों के शब्द जितनी आसानी से मुँह से बाहर आ जाते थे, शिष्ट शब्दों का सूझना उतना ही कठिन मालूम पड़ता था।