प्राकृतिक सुषमा का द्वीप : बाली

उबुद बाली का सबसे आकर्षक पर्यटन स्थल है। जो पारंपरिक आभूषण, पत्थर की मूर्तियों, ग्लास वर्क, बाटिक और बाँस एवं लकड़ी के खिलौने के लिए विख्यात हैं।

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शेक्सपियर के गाँव में

उस समय छोटी थी। समझती नहीं थी, आखिर शेक्सपियर हीरो है या रंगकर्मी। लेकिन हाँ, कानों में उनका नाम बचपन से पड़ गया था।

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अपराधमुक्त देश भूटान

ये आज के संपादक का संकट है। गद्य कविता के नाम पर जो कुछ लिखा जा रहा है। वह प्रायः नीरस और अबूझ है।

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मेरी काठमांडू यात्रा

दिल्ली से काठमांडू की कुल डेढ़ घंटे की विमान यात्रा एक दूसरे से बतियाते और नेपाल के मोहक पर्वतों के अभिभूत करते सौंदर्य को सराहते, कैसे पूरी हुई, पता भी न चला। क्षितिज पर कहीं गले मिलती शोख बदलियाँ थीं, कहीं धुनकी रूई के तूदों में इकट्ठा हुए ढेरों-ढेर बादल और दूर पहाड़ों की चोटियों को ढकती बर्फ की चुन्नटों वाली चूनर, जिसकी किनारियाँ गुलाबी रंग से रंगने लगी थीं। मुझे अपने कश्मीर के बर्फीले ताजों वाले बुज़ुर्ग पहाड़ याद आए। एसोसिएशन ऑफ़ आइडियाज! प्रकृति भी तो स्मृतियों पर दस्तक देती, जोड़ने का काम करती है।

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एक सैर ओड़िशा की

आज मैं ओड़िसा राज्य की राजधानी भुवनेश्वर में हूँ, जहाँ किसी समय में सात हजार मंदिर हुआ करते थे और जिन्हें सात सौ वर्षों में बनाया गया था। लेकिन अब 600 मंदिर ही बचे हैं जो कि अपने आप में अद्भुत हैं। दोपहर के भोजन के बाद हम राजकीय अतिथिशाला से निकल पड़े इन गुफाओं के दर्शन करने। भुवनेश्वर की चौड़ी सड़कों और सीधे-सादे शहर के दिल में उतरना एक सुखद अहसास रहा। सबसे पहले हम जा पहुँचे शहर को अपनी गोद में लिए उन पहाड़ियों के पास जहाँ की चट्टानें अपने आगंतुकों का स्वागत करने को बेचैन थीं।

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सोखोदेवरा : एक तीर्थ से गुजरते हुए

लोकनायक जयप्रकाश उनके उस अधूरे कार्य को पूरा करने में आजीवन लगे रहे। इसलिए भारतीय जन-मानस में जयप्रकाश दूसरे गाँधी के रूप में दिखाई पड़ते हैं। मैं खुद को भी उन लाखों-करोड़ों लोगों में मानता हूँ, जो गाँधी और जयप्रकाश के प्रति वास्तविक श्रद्धा रखते हैं। इसलिए जीवन में जब कभी भी मौका मिला, साबरमती, वर्धा, सेवाग्राम आदि जगहों में गाँधी और जयप्रकाश की उस मनोवृति का दर्शन करने जाता रहता हूँ, जिसने रचनात्मक कार्यकर्ताओं की एक समृद्ध टोली तैयार की थी।

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