मांडव

हाँ, तो यह मांडव है–शाही महलों का खंडहर। सैकड़ों नहीं, हजारों वर्ष बीत जाएँ और उन वर्षों पर भी कई युग दिन बनकर निकल जाएँ, लेकिन जब तक ये खंडहर हैं, तब तक इनके निर्माताओं की महान महात्वाकाँक्षा यहाँ व्यक्त रहेंगी और उनके प्रभाव से कोई भी पथिक अपने आपको मुक्त नहीं पा सकेगा।

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डिरी डोलमा (भ्रमण)

“मेरी आँखों के सामने था–गौरीशंकर का वही शृंग। इस समय भी उसने अपनी बाँहें दो चोटियों के कंधों पर फैला रखी थीं। वे दोनों माँ-बेटी सी दिखती थीं। उन्हें पहचानने में मैं भूल नहीं कर सकता था। वहाँ दाहिनी ओर वाली ही थी–मेरी डिरी डोलमा!”

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