बाबू साहब का हाथी
बाबू साहब को अपने बेटे के विवाह में एक हाथी मिला था। जब उसका प्रथम शुभागमन उनके दरवाजे पर हुआ था तो गाँव के लोगों की भीड़ इकट्ठी हो गई थी और एक-एक व्यक्ति के कंठ से उसकी प्रशंसा के शब्द निकलने लगे थे।
बाबू साहब को अपने बेटे के विवाह में एक हाथी मिला था। जब उसका प्रथम शुभागमन उनके दरवाजे पर हुआ था तो गाँव के लोगों की भीड़ इकट्ठी हो गई थी और एक-एक व्यक्ति के कंठ से उसकी प्रशंसा के शब्द निकलने लगे थे।
गया में बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन का इक्कीसवाँ अधिवेशन सानंद समाप्त हुआ। प्रांत के, प्रांत के बाहर के भी, साहित्यिक जुटे–भाषण हुए, कविता हुई, अभिनय हुआ।
मुझको वापिस बुला रहे हैं, मुझे लौट कर जाने दो! एकबार फिर बीते सपनों से संसार सजाने दो!
बिहार में हमारी पीढ़ी के लोग भारतीय गणतंत्र के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी के सुयश की कहानियाँ सुनते-सुनते पले और बढ़कर जवान हुए हैं। प्रांत के जीवन पर ज्यों-ज्यों वे छाते गए, त्यों-त्यों उनकी छाया हम सभी लोगों की जिंदगी पर पड़ती गई और हम सभी लोग मन की निर्मलता के समय छोटे-छोटे राजेंद्र प्रसाद बनने की कामना से उद्वेलित रहे हैं।
“तेलुगु में ‘तेने’ शब्द प्रयुक्त होता है शहद के अर्थ में। यह भाषा अपनी मिठास के लिए सारेदक्षिणापथ में प्रसिद्ध है। पाश्चात्य भाषाविदों ने इसे ‘दि इटालियन ऑफ दि ईस्ट’ कह कर इसकी निसर्गजनित माधुरी तथा संगीत की उपयोगिता की दाद दी है।”
इस गीत को मैं अपनी 1949 की कृतियों में सबसे प्यारी मानता हूँ। यह ‘मिलन यामिनी’ में संग्रहीत है यह सर्वप्रथम ‘आजकल’ दिल्ली के मई 1949 के अंक में प्रकाशित हुई थी।