मौसमों की मार की शिद्दत
मौसमों की मार की शिद्दत भुला कर उड़ गया इक परिंदा हौसलों के पर लगा कर उड़ गयाचाँदनी ने दिल टटोला हो गया उसको यकीं बादलों के रथ पे चंदा दिल चुराकर उड़ गयादुख का बादल सर पे मँडराता रहा हर पल मगर सुख का बादल एक पल को पास आकर उड़ गया
मौसमों की मार की शिद्दत भुला कर उड़ गया इक परिंदा हौसलों के पर लगा कर उड़ गयाचाँदनी ने दिल टटोला हो गया उसको यकीं बादलों के रथ पे चंदा दिल चुराकर उड़ गयादुख का बादल सर पे मँडराता रहा हर पल मगर सुख का बादल एक पल को पास आकर उड़ गया
जब सुधि आती गा लेता हूँ। प्रिये! तुम्हारे गाये गीतों को गा मन बहला लेता हूँ।
बुझे असंख्य दीप पर बुझी न ज्योति शृंखला! अनेक कण उठे मिले कि शृंग तुंग हो गया।
रोकर दिल बहला लेने दो। दिल-दरिया में तूफानों का