नीली झील

इस रूपक का वातावरण सर्वथा ऐंद्रजालिक होते हुए भी इसकी समस्या आज की यथार्थ समस्या है। वह समस्या आज मानवीय संस्कृति की प्रगति के सामने एक प्रश्नचिह्न बन कर खड़ी हो गई है।

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कवि इश्रती

सैयद मुहम्मद खाँ इश्रती के पिता युसूफ हुसैनी और पितामह सैयद हुसैन थे। सैयद यूसुफ भाग्य-परीक्षा करते बसरा (मेसोपोतामिया) से दखिन पहुँचे।

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‘दारिद दुष्टन को गहि काढ़ौ’

हिंदी काव्य के साथ जो दुर्व्यवहार पिछले वर्षों में हुआ उसका दुष्परिणाम यह निकला कि लोग केशव को भूल से गए और शिक्षाक्रम में हिंदी को स्थान मिला भी तो लोग उनकी बहुछंदी रचना रामचंद्रिका का ही अध्ययन-अध्यापन करते रहे।

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