घर और घोंसला
मैं जब तीर निकाल रहा था तो पंछी का विशाल सुंदर पंख मेरे सिर पर आ लगा। छाया के अंचल तले विश्वास ने साँस खींची।
मैं जब तीर निकाल रहा था तो पंछी का विशाल सुंदर पंख मेरे सिर पर आ लगा। छाया के अंचल तले विश्वास ने साँस खींची।
एक साप्ताहिक के दफ्तर में एक युवक काम कर रहा है–उसकी वेश-भूषा तथा परेशान-बेहाल चेहरा बता रहे हैं कि गरीब की क्या हालत है ।
मेरी कल्पना प्राचीन इतिहास के उस युग में खो गई, जब सर्वप्रथम पूर्व की ओर से, ईसवी सन् के आरंभ में, सिथियन लोगों ने भारत में प्रवेश किया था।
वृंदावन लाल वर्मा का मेरा साथ तीस-पैंतीस बरसों का है। वे मुझे बड़ा भाई मानते हैं, ‘भाई साहब’ कहते हैं, और मैं उन्हें ‘वृंदावन’ कहता हूँ।
अनुदिन हमारे घंटों पर घंटे साथ बीता करते फिर भी मन न अघाता। प्रसाद जी कितने ही विषयों के आकर, जो प्रसंग चल पड़ता उसी में स्वाद मिलता।
प्राचीनता की पूजा और नवीनता को शक की नजर से देखना–यह भारतीय संस्कृति की अपनी विशेषता रही है।