कबीर दर्शन की पृष्ठभूमि
कबीर के काल में जहाँ विभिन्न दर्शन ब्रह्म, माया, संसार आदि के संबंध में अपने विभिन्न मत प्रगट कर रहे थे, वहीं सूफी प्रेम की धारा बहा रहे थे, इस्लाम का एकेश्वरवाद तलवार की जोर से चल रहा था, बौद्धों की शाखा हीनयान तथा महायान मुड़मुड़ाकर नाना प्रकार के मंत्रों का आडंबर रच रही थी और रामानंद जैसे महर्षि परम पुरुषोत्तम राम की महिमा गा रहे थे।