रवींद्रनाथ के वसंत गीत

वसंत संबंधी अभी तक की मान्य कवि-प्रसिद्धियों एवं रूढ़ियों के बाद भी रवींद्रनाथ ने नई रूढ़ियों की सृष्टि की है। रवींद्रनाथ ने वसंत के साथ एकात्मता का बोध किया है।

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सेर आध सेर चावल के लिए

ऐसी गली जिसमें शरणार्थी घुस आए हैं, जिसमें बड़े अफसर मकान की तंगी के कारण अनिच्छापूर्वक रहने को विवश हैं

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दिल्ली का तख्त

गत रात को चुप अकेले में पलंग पर पड़े हुए बादशाह को जिस परी जमाल का स्वर मध्यरात्रि की अभिसारिका के प्रथम चुंबन-सा प्रतीत हुआ था, आज वही स्वर तिक्त नीम-सा अनुभूत हुआ।

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छींक

डॉ. रामकुमार वर्मा एकांकी और कविताओं के लिए प्रसिद्ध हैं। उनके एकांकी कई मानी में अपना विशेष महत्त्व रखते हैं। प्रस्तुत रचना शुद्ध हास्य और सरल व्यंग्य का अच्छा उदाहरण है।

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नाम में क्या धरा है?

नाम में क्या धरा है? जो लोग कलकत्ता में ‘खोट्टा’ बन गए, वही बंबई में जाकर ‘भैया’ कहलाए! ‘मेहतर’ का अर्थ है बड़ा, किंतु समाज ने इन्हें कैसा छोटा बना डाला है! हाँ, नाम में क्या धरा है?

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