शरतचंद्र संबंधी मेरे संस्मरण (तीसरी कड़ी)

उस वर्ष (1923) रायटर ने यह समाचार प्रचारित कर दिया कि इस बार का साहित्य संबंधी नोबेल पुरस्कार किसी भारतीय लेखक को मिलने वाला है।

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स्याम का कला-पक्ष

थाई लोग कला के बड़े प्रेमी हैं। उनके जीवन से यह सत्य स्वयं प्रकट होता है। सुरुचि और व्यवस्था इनके जीवन के अंग बन गए हैं।

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नए वर्ष का स्वागत

गत एक वर्ष के अंदर यह विचार और भी दृढ़ हो गया है कि निर्बलों का देवता ‘राम’ है, बलशालियों की देवी नियति–और नियति मनमौजी है, तरंगी है।

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