कला के आधार

कला का प्रकाशन आंतरिक तथा बाह्य आधारों पर आश्रित है। उसका आंतरिक आधार कला की मौलिक प्रेरणा है, और उसके वाह्य आधार कला के माध्यम या उपादना होते हैं।

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ताजमहल की बुनियाद

आज से तीन सौ वर्ष से अधिक हुए, जब शाहजहाँ ने अपनी बेगम मुमताज की यादगार में विश्व का आश्चर्य ताजमहल निर्मित किया था।

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फूल की चिंता करे क्या, शूल चुभते जा रहे हैं?

फूल की चिंता करे क्या, शूल चुभते जा रहे हैं? मुस्कराते अधर दल पर

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विभिन्न ‘वाद’ और आधुनिक हिंदी कविता

इन ‘वादों’ की प्रवृत्ति हममें प्रतिहिंसा की भावना जागरुक करती है जो कला और साहित्य के कलाकार और साहित्यकार को कोसों दूर हटा दे सकती है।

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अग्नि-स्नान

पुजारी की आँख खुली! घबराई आँखों से चारों तरफ देखा! कुछ नहीं! सब तो ठीक था। शयन-कक्ष का द्वार बंद था। शमा मधुर प्रकाश बिखेर रही थी। “कुछ नही! भ्रम है मेरा!” पुजारी ने अपने को संतोष देते हुए करवट बदली!

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