आदिवासी लोकगीतों में रामचरित्र-चर्चा
रामचरित्र की चर्चा हर भाषा के साहित्य में चमकती ही है; वह संथाली-भाषा के साहित्य में भी ‘नहीं’ की शून्यता को बखूबी पूरा करती है।
रामचरित्र की चर्चा हर भाषा के साहित्य में चमकती ही है; वह संथाली-भाषा के साहित्य में भी ‘नहीं’ की शून्यता को बखूबी पूरा करती है।
इमाम साहब ने मस्जिद का द्वार खोला। चारों चट्टाइयाँ पानी से भींग गई थीं। बाप-बेटी एक दूसरे की ओर ऐसे देखने लगे जैसे बूझ रहे हों ‘अब क्या होगा?
बर्गसां ने हिंदू रहस्यवाद के स्वरूप का निर्धारण करते हुए उसे स्थित्यात्मक ठहराया है क्योंकि इसमें गतिशील जीवन का स्वर मुखरित नहीं; यह जीवन से एक प्रकार का पलायन है।
शरीर से स्थूल, वय से चालीस के लगभग! रूप भद्रतापूर्ण। आँखें वेदनामयी। धोती साधारण–न मैली न उजली। हाथों में चाँदी की चूड़ियाँ।
1890 से चीनी साहित्य का वर्तमान युग शुरू होता है। तब जो वह साहित्य पश्चिमी संस्कृति और साहित्य के संपर्क में आया तो उसमें आधारभूत परिवर्तन होने लगे।
नया लेखक क्या करे बिचारा? कोई है काँटों का रास्ता दिखाता