तुलसी और भक्ति
तुलसीदास भारतीयता के प्रतीक हैं। उन्होंने भारतीय दर्शन, धर्म और साहित्य की जो प्रतिष्ठा अपनी रचनाओं में की है, वह किसी साहित्यकार द्वारा संभव नहीं हो सकी।
तुलसीदास भारतीयता के प्रतीक हैं। उन्होंने भारतीय दर्शन, धर्म और साहित्य की जो प्रतिष्ठा अपनी रचनाओं में की है, वह किसी साहित्यकार द्वारा संभव नहीं हो सकी।
हरिप्रसन्न कम्युनिस्ट पार्टी का सदस्य था या नहीं, इस प्रश्न का जवाब नहीं दिया जा सकता। पर वह ऐसी बातें तो जरूर ही किया करता था, जो तिलमिला देने वाली थीं।