अवसर की पहचान

कई बार ऐसा होता है कि हम जो चाहते हैं, वह नहीं होता। बल्कि अक्सर ऐसा ही होता है। हम चाहते कुछ हैं और होता कुछ और है–चाहने से कुछ कम या फिर ज्यादा। हमारे चाहने की अपनी सीमा है, जिसके इर्द-गिर्द ही हम डोलते रहते हैं। लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि हम अपनी सीमा के विस्तार से अंजान सीमित दायरे में ही अपने लिए कुछ चाहते हैं, जबकि वक्त-विधाता के हाथों मिलना बहुत ज्यादा होता है। हर व्यक्ति के जीवन में ऐसे अवसर आते हैं। इसलिए अवसर को पहचान पाने का विवेक स्थिर करना बहुत जरूरी होता है। जीवन की दिशा उसी पर निर्भर होती है। दिशा सही हो, तो जीवन में सफलता दर सफलता मिलती चली जाती है। सफलता का अमीरी-गरीबी से कोई संबंध नहीं होता।

और जानेअवसर की पहचान

बचाए रखना है तुम्हें

बचाए रखना है तुम्हें, बचाए रखना है उनसे, बचाए रखना है अपने सिर के भूत को, प्रेत को जिन को, डाकिनों को और सबसे ज्यादा कविता को

और जानेबचाए रखना है तुम्हें

खुशियों का व्यापार

ज्यों-ज्यों वह लड़की बड़ी होने लगी, त्यों-त्यों परिवार में एक बेफिक्री का आलम नजर आ रहा था। फिर भी, ऐसा क्या था जिस पर लड़की के बड़ी होने पर गाँववाले खुशियों से भरे-भरे थे।

और जानेखुशियों का व्यापार

फिर आना अम्मा

अम्मा मुझे लग रहा है तुम अपनी साँसों को ही नहीं समेट रही हो, बहुत कुछ समेट रही हो। एक शख्सियत इस धरा से विदा लेती है तो उसके साथ एक युग, साम्राज्य, सत्ता, हुनर, तौर-तरीके, अनुभव, सूचनाएँ...बहुत कुछ विलुप्त हो जाता है।

और जानेफिर आना अम्मा