आँधियों के आचरण से डर गए

आँधियों के आचरण से डर गए कुछ हरे पत्ते नवागत झर गएजो कि अपने ही गिरे दायित्व सेहम थके हारे उसी के घर गए

और जानेआँधियों के आचरण से डर गए

फासले तोड़ डाले गए

फासले तोड़ डाले गएगम नहीं जब संभाले गए बेअसर जिनके साये हुएवे घरों से निकाले गएइन दरख्तों की आगोश मेंजुल्म के नाग पाले गए

और जानेफासले तोड़ डाले गए

उलगुलान की अनुगूंज में शामिल स्वर

निस्संदेह हरेराम त्रिपाठी चेतन सुकवि हैं। उनके पास भाव हैं, विचार हैं, संपदा है, अभिव्यक्ति की कला है। लेकिन इतने भर से कवि की तमाम मुश्किलों पर विराम नहीं लग जाता।

और जानेउलगुलान की अनुगूंज में शामिल स्वर

मैं तेरा शहर छोड़ जाऊँगा

मैंने नहीं देखा कि कैसे थे पिता। माँ ही बताती थी कि मेरे पिता बहुत सुंदर और बहुत मेहनती थी। माँ यह भी बताती थी कि पिता मेहनती तो इतने थे कि सारे-सारे दिन काम करने के बाद रात में भी काम करते थे।

और जानेमैं तेरा शहर छोड़ जाऊँगा

राष्ट्रीय राजमार्ग

यह अप्रैल 1540 की बात है। हुमायूँ अपनी किस्मत आजमाने और शेरशाह से दोबारा दो-दो हाथ करने कन्नौज के निकट बिलग्राम आ धमका, भारी लाव-लश्कर के साथ। वह गंगा के इस किनारे पर आकर ठहर गया। शेरशाह ने भी गंगा के दूसरे किनारे पर अपना शिविर लगाया और उसकी चारों ओर मिट्टी की दिवारें खड़ी कर दी।

और जानेराष्ट्रीय राजमार्ग

अरेबियन नाइट्स की कहानियाँ

मेरी नजर एक मोटी सी पुस्तक पर पड़ी जिसका नाम था, ‘अरेबियन नाइट्स’ और अनुवादक का नाम था सर रिचार्ड बर्टन। विषय-सूची में अनेक कहानियों के नाम जाने पहचाने लगे, जैसे, सिंदबाद की यात्राएं, अलादीन और जादुई-चिराग, अलीबाबा और चालीस चोर आदि।

और जानेअरेबियन नाइट्स की कहानियाँ