बाबूजी की बातें बाबूजी की यादें
प्रेमचंद की यह उक्ति कि बुढ़ापा बचपन की पुनरावृत्ति होती है, को मैं बाबूजी ;स्वर्गीय प्रो. गोपाल राय के अंतिम दिनों में उनमें ही शब्दशः चरितार्थ होते हुए देखी हूँ।
प्रेमचंद की यह उक्ति कि बुढ़ापा बचपन की पुनरावृत्ति होती है, को मैं बाबूजी ;स्वर्गीय प्रो. गोपाल राय के अंतिम दिनों में उनमें ही शब्दशः चरितार्थ होते हुए देखी हूँ।
कथाकार अनंत कुमार सिंह के उपन्यास ‘ताकि बची रहे हरियाली’ की कथा भूमि बिहार का भोजपुर अंचल है।
दक्षिण अमेरिका महादेश के पेरू देश की राजधानी लीमा में मौसम परिवर्तन के नाम से अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया।
गरिमा ने कॉलिज से छुट्टी ले ली थी। एक दिन की छुट्टी। वह बड़ी उलझन में थी और बार-बार मुस्कराकर रह जाती। कैसे बताएगी सबको कि उसकी शादी हो रही है। बात पक्की हो चुकी है। आज लड़के की... वह सोचते-सोचते मुस्कराई, लड़के की, यानी विकास की माँ, उसकी बहन, उसकी भाभी... सभी आए थे
साँझ होते क्रोशिया सेकाढ़ती है रोशनीखुशबुओं के फूल पहनेगाती हैं अंगुलियाँ।हरी चादर में लिपटकरसो रहे हैं बाध-वनतितलियाँ लाई
कहानीकारों की चिंता के सरोकार ही कहानी लिखने की वजह बनते हैं। वजह एक नहीं अनेक हैं, किंतु आज आपसे जिस वजह की चर्चा करूँगा वह यह नहीं है कि कहानी मानवता की रक्षा के लिए लिखी जाती रही है,