वो घड़ी न आए काश

लेखकीय स्वाधीनता के लिए नौकरी या लाभ का कोई पद ग्रहण न करने का संकल्प राजेन्द्र यादव ने लेखन के प्रारंभ में ही ले लिया था। बाद में कोई पुरस्कार न लेने का संकल्प भी उसमें जुड़ गया, जिसे ईमानदारी से निभाने की कोशिश उन्होंने ताउम्र की।

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महानगर में कहानी

मुंबई सबसे अलग है। कोई भी शहर व्यापार, उद्योग, जनसंख्या आदि की दृष्टि से महानगर कहलाने लगता है। पर यह बड़ा होना किसी नगर को महानगर नहीं बनाता। महानगर की अपनी एक संस्कृति अपनी एक सभ्यता होती है।

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पुराकथाओं का सच

पुराकथाएँ काल्पनिकता के अद्भुत कायावरण में ‘सत्य’ को छिपाए रहती है। आमतौर पर लोग कथा के चमत्कार में बरसों उसकी आवृत्ति करते रहते हैं।

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